Wednesday, November 2, 2016

व्यसन करता जीवन का नाश करो विश्वास



मेरे गाॅव मे खुलने वाली थी शराब की दुकान ,सबने मिलकर मना किया कि इससे होगा गाॅव का बहुत नुकसान।पीने वालो की होगी भीड और दारूबाजो से भर जाएगा रास्ता, पीने के बाद आदमी बहक जाता फिर उसका किससे रहता वास्ता।गाॅव के औरत बच्चे होगे परेशान ,थोडा फायदा बाकि नुकसान ही नुकसान| ऐसा कह उसे समझाया, जगह न देने के लिये मनाया। एक दुकान कर देती पूरा गाॅव खराब, झगडे झंझट होते बे हिसाब। इस व्यसन को जो करते है उनके घर का देखो हाल, पीने को बच्चे के लिये दूध नही पर रहता आदमी को बोतल का खयाल|कितना भी कमाओ दारू पी जाती है सारा पैसा, जीवन रहता डरा सहमा बदहाली जैसा। बच्चो के अंदर डर इस कदर जाता भर, बाते नही करते अपने बाप से न मिलाते नजर। उस पर ज्यादा पीने से हो जाता शरीर खराब, थोडी बहुत जो उम्मीदे है वह भी देन लगती जवाब । छोटे छोटे बच्चे उनकी जिम्मेदारी और भार ,कम उम्र की मौत से बिखर जाता परिवार। इस व्यसन को हमेशा के लिये दो त्याग ,तुम किसी के पिता हो किसी का हो सुहाग।जितना पी जाते थे अब वह होगी आय, व्यसन से दूर होकर शांती से जीवन बिताए।

No comments:

Post a Comment