Wednesday, November 9, 2016

संतरे के बगीचे

कल तक गाॅव मे मुश्किल था जीवन बसर तंग हाली थी इस कदर आज उसी गाॅव मे लोग चार पहिया वाहन से घूम रहे खुश हाल झूम रहे। कैसे आया यह बदलाव समझ नही आ रहा था कल का रोता किसान आज मुस्कुरा रहा था । इस बदलाव की वजह बना संतरे के बगीचे लगाना आज उसके कारण ही आया यह दिन जमाना। दो फसल मे किसान कितना कमाता जो कमाता वह घर मे खर्च हो जाता । बचत के नाम पर था व्यापारी का कर्जा एक का प्रयास देख सफल होता सब चल पडे उसी राह कमजोर तो पहले से ही थे नही थी कुछ खोने की परवाह । आज ससंतरे की फसल बेच मिल रहा अच्छा घर तो बढ गई इसे उन्नत बनाने की लगन। आस पास के गाॅव भी करने लगे यही प्रयास निकला नया सूरज फैेल रहा उजास।पहले के लोग षायद इसलिये ही कहते थे जो एक बगीचा फलदार पेडो का लगाता है वह पीढियो को तार देता है उन्नति और समृद्धि का उपहार देता है। इससे यह राह मिलती है कि अगर खेती को बनाना है फायदे का सौदा तो करने होगे इस तरह के प्रयास जिस योग्य भूमि है उसी तरह के फल के बगीचे लौटाएगे खेती का खोया विष्वास।इसके साथ ही हमे सीखना होगा अपनी ही फसल का व्यापार नही तो बिचैलिये ही डकार जाएगे नही होगा फायदा उस प्रकार।Image result for santre ka bagicha

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