Wednesday, November 30, 2016

आदमी का जीवन मिला तो चलो मुस्कुराए

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पता नही अगला पल पर गणनाओ और कल्पनाओ मे बीत रहा आज और कल
जिन्दगी मे नही होते कुल सौ साल पर यही आदमी को आता विश्व जीतने का ख्याल
अगर है ही उन्माद तो एक दिन किसी गरीब को खिलाओ एक एक -एक पल को नर सेवा मे लगाओ
पर नही हमे तो लोगो को मार बतानी है अपनी शान, अपने खुद के हलक मे रहती है जान
पता नही कब कौन मार देगा, अगर करम है ऐस तो कौन रहम करेगा
धर्म का उन्माद सर चढ बोल रहा आज मालूम, नही कल अपनी ताकत तौल रहा
मान विध्वंस मे तुम्हारा जवाब नही, निर्माण का आॅखो मे ख्वाब नही
बस कल हूरे मिलेगी इसलिये मरना है, आज ऐसे पागलो का क्या करना है
इस तरह की सोच का मिटना जरूरी की शांती आए ,आदमी का जीवन मिला तो चलो मुस्कुराए

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