कई जानवरो की खत्म हो गई प्रजाती तो मैने कहा उनसे खतरनाक मनुष्य जाती
वे हो गये हमारे लालच का शिकार कुछ बचे बाकि हमने दिये मार
उस पर हम इतने मक्कार की करते उनके सिर टाॅग अपने पाप का इजहार
कभी नही देखा शेर ने अकारण कोई किया हो शिकार पर हमने तो शौक और शान मे हजारो जानवर दिये मार
इस पर भी नही भरा हमारा मन अब बडप्पन है संचयधन
हजारो भूख से मर रहे और और हम धन संचय कर सो रहे गरीब मुखमरी लाचारी मे रो रहे
गरीबो के नेता जो बने गरीब के नाम उनने भी कालेधन बनाने के किये काम
दलित की बेटियाॅ दौलतवान की हो गई वह भी संचित धन गद्दे की जगह फैला सो गई
कहते है आदमी के पास ज्यादा ज्ञान पर पाया विपरीत वह तो मक्कार बेईमान
जानवर नही करते अकारण शिकार इन्होने तो धर्म केनाम मार दिये लाख हजार
ईश्वर ने बनाई दुनिया को जानवर पंक्षियो ने दिये रंग और इंसानो ने अपनी हवस मे कर दी बदरंग।
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