Tuesday, November 22, 2016

गम का आॅचल ओढ खुशी सोती है।

Photo
पूरी कोशिश है कि हाथ न छूटे पर ऐसे फिसल जाता है है आदमी के सामने उसका अपना निकल जाता है
जिनके साथ बुने थे जिन्दगी के ताने बाने वह एक पल मे दूर हो गये जिनके बिना जीना बेकार लगता था उनके बिना जीने को मजबूर हो गये
जिसे टूट कर चाहा उसकी जिंन्दगी फिसल रही है सामने उसकी आखिरी साॅसे निकल रही है
लगता है सब खत्म हो गया नही कुछ बाकि पर दूसरी ही सुबह आ जाती है नई आस जो जगा देती जीने का विश्वास
ईश्वर तुने अजब है दुनिया बनाई जहाॅ मौत का मातम है वही किलकारी गूॅजी और जिन्दगी मुस्कुराई
रात कितनी भी हो काली सुबह होती है गम का आॅचल ओढ खुशी सोती है।

No comments:

Post a Comment