रौशनी धीरे धीरे बढ रही है अवरोध है बडे पर लड रही है
जिन तक पहुॅचा प्रकाश उन पर जिम्मेदारी वे इसे बढाए बहुत है अनपढ समाज मे उन्हे पढाए
सब को कर्ज है चुकाना शिक्षा का कर्ज तब घटेगा जब ज्ञान का प्रकाश बढेगा
नगर हमारा गाॅव हमारा है देश का हर समाज हमारा ,हम है पापी अगर वह अपनढ रह जाएगा बेचारा
हाथो मे हमारे है हुनर का प्रकाश तो इसे फैलाए अपने पैर पर समाज को खडा कर दिखाए
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