छोड आया उस तरफ संसार यहाॅ हू अकेला, डूबते पल का कौन होता साथी, जीवन लौ जब बुझने से पहले टिमटिमाती|
सामने है जीवन का नवजात पर अपना तो सूरज डूब रहा नही रही वह बात
रिश्तो की डोर शिथिल पर पकड रहा हूॅ पूरी जोर आ गया जीवन का अंतिम छोर
नजर से ओझल हो रहे नजारे गहन अंधकार मे एक बिन्दू है, लगता यही जीवन सिंधू है
कहते है इसमे डूबने वाले को मिलता है उजियार, मै भी तैयार जाना है उस पार ,
सामने है जीवन का नवजात पर अपना तो सूरज डूब रहा नही रही वह बात
रिश्तो की डोर शिथिल पर पकड रहा हूॅ पूरी जोर आ गया जीवन का अंतिम छोर
नजर से ओझल हो रहे नजारे गहन अंधकार मे एक बिन्दू है, लगता यही जीवन सिंधू है
कहते है इसमे डूबने वाले को मिलता है उजियार, मै भी तैयार जाना है उस पार ,
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