शिला पर बीच जल कर रही हू योग करना उस परम तत्व संयोग
जिससे निकली उस मे मिलने की तैयारी जीवन दौड दौडते हारी
जल से निकला जैसे जीवन मै भी जल बीच उसको रही पुकार दोनो हाथे को बना के हार
योग कराता परमात्मा से मिलन मै भी इसके लिये साध रही मन
बीत रहे साधना मे पल आज नही तो मिलना होगा कल तैयार कर रही अपने को की आए वह पल
No comments:
Post a Comment