इसको देख लगता जैसे साधक का साधना स्थान जो यहाॅ एकांत मे बैठ करता साधना लगाता ध्यान
ज्ञानी कहते जो आॅखो से दिख रहा सब माया है छल है आज है नही कल है
यहाॅ वह हर चीज आॅखो से दूर है पूरा एकांत और अग्नि की तपन भरपूर है
आ रहा इतना प्रकाश की देख सको आस पास
कहते है जब सब कुछ हो जाता है खामोश, तब मूल शब्द जागता है ,जब मन हो चंचल तो सत्य दूर भागता है
हो जाता आॅखो से ओझल, जीवन मे शांत हुए तो जीते जी मिल जाता निर्वाण का पल
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