कान्हा जब से गये रस्ते पर है नैन कब आओगे साॅवरे तुम बिन नही आवे चैन।
घर मे दे सब गारी हो गयी ये मतवारी फिरे दिन रैन कब आवोगे साॅवरे तुम नही आवे चैन।
कभी घर देखू देखू दुआरी इत उत खोजू बारी बारी तुम बिन बरसे नैन कब आवोगे साॅवरे तुम बिन नही आवे चैन।
ज्ञानी बोले कहाॅ फिरे बावरी ठहर जरा बंद करतो नैन कही नही गये तेरे साॅवरे भीतर बैठ दिन रैन मिल ले उनसे आ जाएगा चैन
No comments:
Post a Comment