Saturday, December 31, 2016
जा रही हम भरने पनघट पर पानी चिकोटी काटे छेडे ननद देवरानी
जा रही हम भरने पनघट पर पानी चिकोटी काटे छेडे ननद देवरानी
बताओ न भौजी अपनी कहानी कैसे लडी अखियाॅ कैसे बनी सारी कहाॅनी
ऐसे ही चलती हम लोगो की जिंदगानी सब आपस मे सुनाती सुनती एक दूसरे की जानी अनजानी
बस लेकर पानी फिर चल देती एक साथ बीत जात दिन पर खतम न होती बात
रात बीत रही बीत रहा साल ,पर जो नही बदला वह हमारा हिंसक खयाल
रात बीत रही बीत रहा साल ,पर जो नही बदला वह हमारा हिंसक खयाल
आज कई देश जल रहे धर्मान्धता के नाम ,हजारो लोग मर गये नही जानते लोग उनके नाम
कितनी मासूम औरते हुई बलात्कार की शिकार ,बलात्कार कर रहे धर्म के ज्ञानी ठेकेदार
मासूम बच्चे बन रहे आतंकवादी जेहादी जिस उम्र मे खेलना खाना, वे पढ रहे सुन रहे आतंक का गाना
नये साल मे इनमे बदलाव हो, लोग एक दूसरे से करे प्यार ,रहे शांती से और आपस मे जुडाव हो
बंगाल को चाहिये परिवर्तन करना होगा आतंकियो का मान मर्दन
बंगाल को चाहिये परिवर्तन करना होगा आतंकियो का मान मर्दन
जो बंगाल को जला रहे मासूमो के घरो मे आग लगा रहे
कर रहे बहन माताओ के साथ अत्याचार ये कैसे जिंदा इन्हे दो मार
बंगाल सरकार उन्हे बचा रही अब परिवर्तन की सुनामी आ रही
दीदी कहलाती पर रही जरा बहन बेटियो का गम अब बंगाल मे परिवर्तन की उमंग
Friday, December 30, 2016
बाप एक ही होता बेटे हो सकते हजार जरा सोचो और करो विचार
बाप की उमर हुई ज्यादा शरीर हुआ कमजोर तो बेटा दिखा रहा अपना जोर
उसकी बनाई सम्पत्ति का बन स्वामी कर रहा पिता से अब मै हो गया अंतर्यामी
जो तिनका-तिनका जुटाता है उसे दिखा रहे आॅख उपर वाला देख रहा जल हो जाओगे राख
बाप एक ही होता बेटे हो सकते हजार जरा सोचो और करो विचार
आपकी हम पर कृपा होगी तो हो जाएगे हम भी पार, यही प्रभु सेवक की यह अरज कर लो स्वीकार
जय हो हनुमान जी आपका बल अथाह पर भक्ति मे ऐसे है समाए कि अभिमान छू न पाए
आपकी कृपा से सुग्रीव बने राजा मित्र बने राजा राम, जो आप हो मेहरबान तो हो जाते सारे काम, लेते ही
आपका नाम
माता सीता की हर ली पीर ,कहा माॅ प्रभु की आज्ञा नही नही तो मुझे रोक सके नही कोई ऐसा वीर
छोटे रूप मे होने के कारण माॅ नही समझ पाई बात, तो प्रकट हुए विशाल रूप ले साक्षात
आपकी हम पर कृपा होगी तो हो जाएगे हम भी पार, यही प्रभु सेवक की यह अरज कर लो स्वीकार
कान का झुमका लूटता मन जैसे पुकार रहा कहाॅ हो सजन
भारतीय परिवेश कितना सुन्दर कितना विशेष
देख कर श्रद्धा होती है नही आती गलत बात लगता है संस्कार का साथ
वेश कर रहा सुन्दरता मे निखार नंगे पन से आता मांसलता का उभार
कान का झुमका लूटता मन जैसे पुकार रहा कहाॅ हो सजन
आज साढे सात का लोग कर रहे इंतजार मोदी आज करेगे कालेधन पर कैसा प्रहार
आज साढे सात का लोग कर रहे इंतजार मोदी आज करेगे कालेधन पर कैसा प्रहार
आज कौन सा बम गिराएगे काले धन वाले अब कहाॅ जाएगे चल रहा काले कारनामे करने वालो मे विचार
आज से पहले भी बजते थे साढे सात पर आज के साढे सात की अलग ही है बात
आज मोदी जी देगे फिर देश के नाम संदेश इंतजार कर रहे लोग देश हो या विदेश
आज कौन सा बम गिराएगे काले धन वाले अब कहाॅ जाएगे चल रहा काले कारनामे करने वालो मे विचार
आज से पहले भी बजते थे साढे सात पर आज के साढे सात की अलग ही है बात
आज मोदी जी देगे फिर देश के नाम संदेश इंतजार कर रहे लोग देश हो या विदेश
Thursday, December 29, 2016
जैसे चढाया सर पटको धरती पर फिर बना दो सब पहले जैसा फिर देखो इसका हाल होता कैसा
इतनी वीभत्स तस्वीर और इतना अत्याचार उस मुक्ष्यमंत्री को दिन रात सता रहा नाटबंदी का कार्य
महिला हो कर भी औरत के उपर हुए जुल्म पर मौन यह औरत है या यह है कौन
दीदी मत पुकारो परिवर्तन का विचारो मिले तो दौडाओ ललकारो आखिर तुम बंगाल के शेर मत करो देर
जैसे चढाया सर पटको धरती पर फिर बना दो सब पहले जैसा फिर देखो इसका हाल होता कैसा
जैसे चढाया सर पटको धरती पर फिर बना तो सब पहले जैसा फिर देखो इसका हाल होता कैसा
इतनी वीभत्स तस्वीर और इतना अत्याचार उस मुक्ष्यमंत्री को दिन रात सता रहा नाटबंदी का कार्य
महिला हो कर भी औरत के उपर हुए जुल्म पर मौन यह औरत है या यह है कौन
दीदी मत पुकार परिवर्तन का विचारो मिले तो दौडाओ ललकारो आखिर तुम बंगाल के शेर मत करो देर
जैसे चढाया सर पटको धरती पर फिर बना तो सब पहले जैसा फिर देखो इसका हाल होता कैसा
यह भी कुछ ऐसा ही पल है नही सम्हल रहा बीता हुआ कल है
लिखे खत भी लमहो की तरह बिखर गये कुछ इधर गये कुछ उधर गये
जब अपनो ने छोड दिया साथ तो कौन करता यादो की बात
पर लम्बा साथ का अलगाव तोड देता है जब दिल से जुडा कोई नाता तोड लेता किसी और से जोड लेता है
यह भी कुछ ऐसा ही पल है नही सम्हल रहा बीता हुआ कल है
तब प्रभु ने जटाओ का एक सिरा खोला तब गंगा का स्वर पृथ्वी पर कल-कल छल-छल बोला
गंगा का प्रबल वेग और विस्तृत धार शिव की जटाओ मे समाई कि फिर न दी दिखाई
भागीरथ परेशान की कहाॅ खो गई वह प्रबल धार जिसका नही कोई पार
शिव से कौन पा सकता पार वह जब चाहे साकार नही तो निराकार
प्रभु मेरे पर करो उपकार मेरे पूर्वज करते इंतजार भटक रहे शापित करना है उनका उद्धार
तब प्रभु ने जटाओ का एक सिरा खोला तब गंगा का स्वर पृथ्वी पर कल-कल छल-छल बोला
तेरी एक कमी से सब कुछ उदास है सब वैसा पर तू नही पास है
आज वही मौसम वही जगह है पर तू नही बस इतनी सी है कमी
उसी पेड से टिक कर खडा हूॅ जहाॅ हम बैठ करते थे बाते वह न दिन रहे न राते
सारे पेड पौधे उसी तरह ख्लिखिला रहे पर न जाने मुझे क्यो लगता मेरी हसी उडा रहे
तेरी एक कमी से सब कुछ उदास है सब वैसा पर तू नही पास है
Wednesday, December 28, 2016
हे माॅ धरती हो गई बेगुनाहो के रक्त से लाल दे शक्ति की इस अवस्था से सकू निकाल
हे माॅ धरती हो गई बेगुनाहो के रक्त से लाल दे शक्ति की इस अवस्था से सकू निकाल
अपना लहू चढाने को तैयार तेरा यह लाल दे शक्ति की इस अवस्था से सकू निकाल
औरतो की इज्जत से होता खिलवाड हो रहा बवाल दे शक्ति की इस अवस्था से सकू निकाल
लुटेरे लगा रहे चहूॅ ओर आग लुटता मासूमो का सुहाग दे शक्ति की इस अवस्था से सकू निकाल
इससे भारत पहुचेगा विकास दर मे दस के पार करो प्रतिज्ञा करेगे कैश लेस व्यवहार
सूरज ढूबता नही था जिनके राज वो हो गये हमारे पीछे आज
देश ने पकडी है अब रफ्तार युवाओ कैसलेस ऐकोनाॅमी का करो व्यवहार
इससे बैंक के पास आएगा पैसा और देगा बेरोजगारो को बुला बुला लोन अब बैंक बन गया हमारा फोन
कम दर का पैसा सफल करेगा व्यवसाय नगद का व्यवहार बंद कर इसको आजमाए
इससे भारत पहुचेगा विकास दर मे दस के पार करो प्रतिज्ञा करेगे कैश लेस व्यवहार
दलित की बेटी ने जमा कराए डेढ सौ करोड अब बताईये आप हम कर सकते इनकी ईमादारी से होड
दलित की बेटी ने जमा कराए डेढ सौ करोड अब बताईये आप हम कर सकते इनकी ईमादारी से होड
बेचारे गरीब जिनके पास नही खाने को दाना उन्होने इन्हे दिया यह माल यह बात बेजोड बेमिसाल
मोदी जी लगादी थी बंदी तो कर देती गरीब के खजाने वापस अगर था उसने दिया आपने ऐसा क्यो नही किया
पर यह है सच्चाई आप दलित के सर बैठ करही उनके नाम पर कमाई आपने तो उनकी सुध बिसराई
यू एन मे भारत की मिसाईल के खिलाफ करेगा फरियाद ये 62 नही रखना याद
चीन को लगता है जो वह करे वही सही जो उसके खिलाफ उसके लिये वह माॅगेगा इंसाफ
इस चीन का इलाज करना जरूरी हो कितना भी जरूरी मत खरीदो चीन का सामान ये साला बेईमान
सामने हो जाओ खडे तो चलता भाग पीठ पीछे उसके अंदर का शैतान जाता जाग
इसने पाकिस्तान को गले लगाया लगता इसका भी बुरा समय आया है
अब इनके अंदर भी चालू हो जाएगे दंगे फसाद ये कारिडोर बनाना हमेशा रखेगा याद
यू एन मे भारत की मिसाईल के खिलाफ करेगा फरियाद ये 62 नही रखना याद
बिना मेहनत हम सो रहे रजाई कंम्बल ओढवह सडक पर दिनभर मेहनत करता कमर तोड
सडक बनाने वाला मजदूर किन हालात मे करता काम दिन भर काम और ठंड बीतती अलाव के साथ नही तनिक आराम
बिना मेहनत हम सो रहे रजाई कंम्बल ओढवह सडक पर दिनभर मेहनत करता कमर तोड
चलते वक्त हमने नही किया विचार कैसे कर सकतेउनकी सुविधा का विस्तार
जिससे रात वह भी कर सके पूरा आराम अलाव के सहारे नही कर पाता आराम फिर कैसे करेगा काम
जलते अलाव देख आया विचार ये बिचार अलाव के सहारे गुजार रहे रात हम मनुष्य पर नही हममे मनुष्यता वाली बात
Tuesday, December 27, 2016
कल तेरे बाप को खिलाया था गोद ,अब आया है पोता कहते सूद, मूल से प्यारा होता
कल तेरे बाप को खिलाया था गोद ,अब आया है पोता कहते सूद, मूल से प्यारा होता
इसमे मै देखता छोटा सा मेरा बेटा, तो करता कभी अपना बचपन याद ,कितने दिनो के आया बाद
मेरे दादा ने मुझे खिलाया यूॅ ही बाॅहो के झूले झुलाया था कहानी से सारा ज्ञान सिखाया था
आज वह अपने दादा का कर्ज उतार रहा हूॅ ,सच कहू तो इसके साथ खेल ,अपना बुढापा गुजार रहा हूॅ
सारा शरीर इस उम्र मे करता दर्द ,जब चलती हवा सर्द ,पर जब यह आता है ,समय पंख लगा गुजर जाता है
स्वास स्वास करती दिन रात तुम्हरा भजन लागी प्रभु तुम्हरी लगन
बस लागी तुम्हरी लगन मै तो राम राम मे मगन
स्वास स्वास करती दिन रात तुम्हरा भजन लागी प्रभु तुम्हरी लगन
रोम रोम अब कहता राम अविराम अविराम न जाने कब सुबह कह हो गई शाम
ऐसा ही कर लो अपना हाल तो नही बचेगे कोई सवाल यही गुरू का ज्ञान राम से जोडो अपनी पहचान
समाज के नाम पर कर रही राज, पर समाज तो आज भी रो रहा, एक समय खा भूखे पेट सो रहा
मायावती जी नही बता रही पैसे कहाॅ से आये ,उल्टा आरोप लगाएकी बीजेपी वाले सताए
अरे भई जिन्होने आपको दिये उनका नाम बताओ ,नही तो नोटबंदी की धार पर आओ
बेचारा दलित परेशान न रोटी न दाल का इंतजाम और दौलत की बेटी खा रही उनके नाम
समाज के नाम पर कर रही राज, पर समाज तो आज भी रो रहा, एक समय खा भूखे पेट सो रहा
बडे बुजर्ग भी अगर फस जाते तो उन्हे होती है तकलीफ कई बार फस जाते साधनहीन बदनसीब
समय बदल गया अब बदलना होगे तरीके रैली से परेशान होते लोग इसलिये करो कुछ और प्रयोग
जन जन तक पहुॅचना होता है जरूरी ,की बात लोगो तक पहुॅचे पर न होवे सडक जाम, कुछ होना चाहिये ऐसा इंतजाम
नये सोच के लोग ही कर सकते नये प्रयोग ,इस सबमे इतना साधन श्रम होता बेकार सरकार करे विचार
रैली कीवजह से सबसे ज्यादा मरीज होते परेशान, कई बार हो जाता जिंदगी का भी नुकसान
बडे बुजर्ग भी अगर फस जाते तो उन्हे होती है तकलीफ ,कई बार फस जाते साधनहीन बदनसीब
Monday, December 26, 2016
अब तो मेरी छाया भी भाग रही है दूर पर कोई यू ही बेवफा नही होता होगा मेरा ही कसूर
कल तक लोग थे साथ लेते थे हर समय हाथो हाथ आज हम अकेले है अब नही वह थीड वह मेले है
पीडा भी कही कोई बाॅट सकता नही दर्द की अकेली राह है आॅखे आॅसू भी आपके और आपकी ही कराह है
उम्मीद का एक आसरा वह चल रही साथ कानो मे चलती तेज हवा कहती यह बात मै हूॅ साथ
अब तो मेरी छाया भी भाग रही है दूर पर कोई यू ही बेवफा नही होता होगा मेरा ही कसूर
"राम काज कीन्हे बिनु मोही कहाॅ विश्राम"
शक्ति का आघात गहरा, गिरे धरती पर धरती धरन ,उठाना चाह रहा मेघनाथ पु़त्र, रावन
किसमे इतना बल, कैसे हो सकता था मेघनाथ सफल ,लेकर चले हनुमान जी उठा कर साथ, पहुचे शिविर बात ही बात
अब कैसे होगा इसका इलाज, वैध भी नही आस पास, सुषेण का नाम सुझाया, पल भर मे हनुमान जी ने लंका से उठा लाया
सूरज उगने से पहले संजीवनी बूटी आएगी, तब ही बचेगी जान ,हनुमान जी को सौपा प्रभु राम जी ने यह कार्य महान
सारे विघ्न का नाश करते ले संजीवनी चल दिये हनुमान राम, काज कीन्हे बिनु मोही कहाॅ विश्राम
जीवन की राहे भी इसी तरह मुडती बार बार की सीख पाओ तुम् चलने का व्यवहार
जीवन की राहे भी इसी तरह मुडती बार बार की सीख पाओ तुम् चलने का व्यवहार
धीरे चलो देखकर डालो अपने आस पास कमजोर पर नजर कि वो भी चल रहे तुम्हारे साथ पकडो बडे बूढो का हाथ
मत करो घमंड की तुम आगे निकल गये क्योकि आगे आने वाले मोड पर पीछे वाला आगे निकल जाएगा तुम्हे पीछे छोड
आगे आने वाले मोड पर हो सकती घटना बडी पता नही वहाॅ ही हो तुम्हारी अंतिम घडी इस लिये सबसे करो प्यार जिन्दगी के दिन है चार
हे अर्जुन उठाओ अपना धनुष बाण, इस समय यह कृत्य कायरता का है प्रमाण
हे अर्जुन उठाओ अपना धनुष बाण, इस समय यह कृत्य कायरता का है प्रमाण
धर्म युद्ध मे कैसा संशय ये तो पाप है, यहा नही तुम्हारा अपना नही कोई भाई नही कोई बाप है
पापी को नही मारोगे तो वह करेगा पाप, इसलिये कोई भी हो वह नही कर सकते माफ
दुनिया का पत्ता भी नही हिलता मेरी इच्छा बगैर, जिनको मै पहले ही मार चुका तू उनकी मत मना खैर
यह तो तुझे यश देना है, वरना यह सब मेरा खेल और दुनिया मेरे लिये खिलौना है
Sunday, December 25, 2016
हर जीव मे भगवान क्या ईसाई क्या मुसलमान चेतन तो अलग जड मे भी वही समाया इसलिये उसने यह आकार है पाया
विवेकानंद जी का संदेश गरीब है बडा मेरा देश
इसको चाहिये आपका धन बदले मे लेलो ज्ञान यहाॅ की गलियो मे रोज पैदा होते आदमी ज्ञानवान
दुनिया मे होत होगे एकाध जिन्हे लोग करे याद पर वे नही करते धर्म प्रचार उनका तो केवल मानवता के लिये प्यार
हर जीव मे भगवान क्या ईसाई क्या मुसलमान चेतन तो अलग जड मे भी वही समाया इसलिये उसने यह आकार है पाया
यही हमारा संदेश जमाने को अगर नही मिले विचार तो उससे मिलो बार बार और रहो प्रेम से इसी प्रकार
यू ही इन चट्टानो से टकराकर लौट रहा हूॅ सालो से अब हम परिचित हो गये एक दूसरे के खयालो से
रोज टकराते हो या रहे चरण पखार क्यो मिलते हो बार बार कही ऐसा तो नही कि तुममे है प्यार
नजर का दोष है तुम्हारा मै तो उससे मिलता गले बार बार करता अपनी दोस्ती का इजहार
मुझमे चपलता उसमे दृढता है अपार नही मिलते हमारे विचार पर सालो से रहते इसी प्रकार
यही हमारा संदेश जमाने को अगर नही मिले विचार तो उससे मिलो बार बार और रहो प्रेम से इसी प्रकार
राधा शक्ति कृष्ण की और कृष्ण राधा जी का प्यार बस इतना ही तो है संसार
राधा शक्ति कृष्ण की और कृष्ण राधा जी का प्यार बस इतना ही तो है संसार
आता बहुत बार विचार क्यो भगवान ने जीवन मे दिये कष्ट अपार
वह दूसरो को नही खुद को भी कष्ट मे डाल सिखाता है दुख तो आता जाता है
दुख है कसौटी जीवन की देखता कैसे करतो हो पार जब तुम्हारी टूटी हो पतवार
दादी की कहानी और सुनने वालो का शोर, दादी वो वाली नही ,नई वाली सुनाओ अच्छी वाली कोई और
दादी की कहानी और सुनने वालो का शोर ,दादी वो वाली नही ,नई वाली सुनाओ अच्छी वाली कोई और
झुक गयी कमर, हो गई उमर ,शरीर मे दर्द, उस पर हवा सर्द ,फिर भी बैठ बच्चो के बीच चल रही बात, ऐसे ही हर खाली समय की रहती शुरूवात
दिन बदल जाते पर दादी बात रहती नवीन, न जाने उनके खजाने मे कितनी कहाॅनिया बाते प्राचीन
क्या कहाॅ कल था तेरे पेट मे दर्द ,तो क्यो नही आया मेरे पास ,पेट दर्द भगाने का मेरे पास नुसखा है खास
मेरी दादी मुझे नही पता ,दुनिया मे है कोई ऐसी बात ,जो उसे नही पता ,वह सब जानती दादी बगैर घडी समय बता देती ,घर की छाया से हिसाब लगा लेती
अपने हाथ लिख रही हू अपना ही कल पढ लिख बनाना चाह रही अपना जीवन सफल
अपने हाथ लिख रही हू अपना ही कल पढ लिख बनाना चाह रही अपना जीवन सफल
कल तक लोग नही थे पढाते आज आया अवसर हाथ तो करो उन्नति की नई शुरूवात
अब घर मे पुरूषो से ज्यादा कमाएगे तो अपने अनुसार परिवर्तन लाएगे
करेगे अपने बच्चो की अच्छी देख भाल अपने भी स्वास्थ का रक्खेगे अच्छेसे खयाल
अगर घर को अपने अनुसार है चलाना तो पडेगा हमको पढाई मे दिल लगान और ज्यादा कमाना
सूख गया दरिया उजड गया गाॅव हताश सी देख रही खाली पडी नाव
सूख गया दरिया उजड गया गाॅव हताश सी देख रही खाली पडी नाव
इतने बडे सच पर नजर जरा फिराव उजड गयी बस्ती खाली पडी नाव
उजाडने नही आया बाहरी कोई हमने ही अपने हाथो उजाड लिया गाॅव
सोने का अण्डा देने वाली को मार दिया बैठने वाली डाल को काट दिया
आदमी की हवस का नही कोई पडाव सूख गया दरिया उजड गया गाॅव
Saturday, December 24, 2016
जल बिना सब सूना नही उगता अन्न का दाना भी अगर उन्हे न मिले पानी समय अनुसार
पेडो का प्यार बरस रहा ले आकार
इस लिये कहता हू पेडो से करो प्यार जीवन तत्व जल इनका उपहार
जल बिना सब सूना नही उगता अन्न का दाना भी अगर उन्हे न मिले पानी समय अनुसार
एक पेड हजार फल जीवन करता आदमी का सफल दो की जगह लो चार फसल
यह था भारत का विस्तार प्राचीन भारत था इस प्रकार
यह था भारत का विस्तार प्राचीन भारत था इस प्रकार
नही जीता था तलवार की धार यहाॅ के लोगाका था सनातनी व्यवहार
भाषा अलग पर ज्ञान एक समान प्राणी मात्र मे जीवन तत्व विराजमान
ईश्वर का हर शरीर मे वास प्रकृति से लो जरूरत का सामान मत करो विनाश
एक है थक के लडखडा रहा दूसरा पैदा हुआ कुछ दिनो का इस लिये सम्हल नही पा रहा
किया बूढे और बच्चे का साथ दोनो के एक से हालात
एक है थक के लडखडा रहा दूसरा पैदा हुआ कुछ दिनो का इस लिये सम्हल नही पा रहा
एक को कुछ नी ज्ञान निरा नदान दूसरा सब कुछ चुका जान उसको हर अच्छे बुरे की पहचान
दोनो लडखडाते चलते कुछ गिरत कुछ सम्हलते इसलिये भाता साथ समझते एक दूसरे की बात
किसने आपको कर दिया इतना परेशान आपने नही बताया पर सभी गये जान
किसने आपको कर दिया इतना परेशान आपने नही बताया पर सभी गये जान
उससे कौन नही परेशान दिल्ली पछता रही पर पाॅच साल का हो गया नुकसान
किरण बेदी आती तो शायद हर समस्या हल हो जाती लौटती औरतो के चेहरे पर मुस्कान
वह भय और डर उस पर बीमारियो की मार दिल्ली वाले थक गये गये हार सुनकर इसकी बाते बेकार
आप जैसा पढा लिखा ज्ञानी जब गया हार पता नही इसको लोग कैसे करते स्वीकार
Friday, December 23, 2016
कैसे कर सकते तुम इस तरह का व्यवहार तुम भी जीव वैसे ही फिर व्यवहार क्यो इस प्रकार
तुममे है अकल तो तुम करोगे अत्यचार, जरा सोचो करो दिल से विचार
कैसे कर सकते तुम इस तरह का व्यवहार तुम भी जीव वैसे ही फिर व्यवहार क्यो इस प्रकार
दूसरो को दर्द मे डाल मुस्कुराते हो अपने को हो दर्द तो आॅसू बहाते हो
किसी को आनंद देने का करो व्यवहार फिर आएगा तुम्हारे जीवन मे भी सुख अपार
कष्ट का एक आॅसू है वह समुद्र की भगवान भी नही कर सकते उसको पार इसलिये हर जीव मे वो है ऐसा समझ करो व्यवहार
सबसे पहले यमुना बोली वासुदेव दे दूगी रास्ता बस एक बार चरण इनके लेने दो पखार
जब से आया धरती पर सब छूने को लिये बेकरार
सबसे पहले यमुना बोली वासुदेव दे दूगी रास्ता बस एक बार चरण इनके लेने दो पखार
यह ऐसे कहाॅ आते धरती पर बार बार कर लेने दो प्यार बरसो से कर रही इंतजार छू लेने दो है वासुदेव एक बार
सब नाचने लगे है सुन बंसी की पुकार मचल जाते सब छूने को एक बार
देखो झूक गई है उॅचे उॅचे पेडन की डार की कर लेने दो प्यार कहाॅ आते यह बार बार
सबसे पहले यमुना बोली वासुदेव दे दूगी रास्ता बस एक बार चरण इनके लेने दो पखार
यह ऐसे कहाॅ आते धरती पर बार बार कर लेने दो प्यार बरसो से कर रही इंतजार छू लेने दो है वासुदेव एक बार
सब नाचने लगे है सुन बंसी की पुकार मचल जाते सब छूने को एक बार
देखो झूक गई है उॅचे उॅचे पेडन की डार की कर लेने दो प्यार कहाॅ आते यह बार बार
हमे सारे कष्ट सह भी अपनाती है माॅ पहली और आखरी नींद भी तो तेरी गोद मे आती है
अगर हो प्रेम देश से तो वह दिल मे बसता जहाॅ देखू तू ही नजर आत चाहे हो रस्ता
हमे सस्कारो मे मिला धरती का प्यार हम उसे माॅ कहते वह भी देती प्यार दुलार
हमे सारे कष्ट सह भी अपनाती है माॅ पहली और आखरी नींद भी तो तेरी गोद मे आती है
माॅ तुने अपने पहलू मे मेरे पूर्वजो को भी दिया स्थाना अब भी अगर प्यार न करू और माॅ न पुकारू तो यह होगा तेरा अपमान
तभी पगट किया रूप कमाल चमकती देह आकार विशाल आसामान को छूते लिये आॅखो मे अग्नि ज्वाल
माॅ आप कहो तो जाउॅ तोड मीठे फल खाउॅ
तुम छोटे से रक्षक राक्षस है विशाल कैसे रख सकोगे अपना खयाल
तभी पगट किया रूप कमाल चमकती देह आकार विशाल
आसामान को छूते लिये आॅखो मे अग्नि ज्वाल
फिर माॅ को आया विश्वास अब राम जी के होगे सफल प्रयास
फिर फल खाए तोडा बाग फूका बिगुल रावण जाग सके तो जाग मारूगा उन सबको जिनका सीता राम जी के कष्टो मे है भाग
समय के साथ हर पाप का होता हिसाब लगता है आ रहा समय देना होगा 62 का भी जवाब
बुढो का चीन कुछ ज्यादा ही परेशान, लगता है उसको हो गया अपनी ताकत का ज्यादा ही गुमान
उसे अपनी जमीन को बढाना अच्छा लगता है पर वह व्यापारी देश नही समझता की वह अभी भारत के सामने बच्चा है
उदार तो बडे ही होते है जो कहते है तिब्बत लेलो इससे बच्चा गया बिगड चढ गया सिर पर
समय के साथ हर पाप का होता हिसाब लगता है आ रहा समय देना होगा 62 का भी जवाब
अनुशासित जीवन होता इसी प्रकार चलो दूर तक एक कतार
अनुशासित जीवन होता इसी प्रकार चलो दूर तक एक कतार
आदमी नही सीख पाया भेडो से यह जीवन व्यवहार,भागता इधर उधर बिना सोचे समझे किये विचार
उसको लगता वही सबसे महान उसको ही हर ज्ञान, पर देखो तो लगता वह तो निरा नादान
आज बसा रहा संसार कर निर्माण, वही उसको मारेगा जब इसका बढेगा प्रमाण
धरती का ताप बढाएगा ,जीवन जल मे समाएगा ,यही बता रहा आज का विज्ञान
उपर से गिरती अमृत धार जैसे गंगा करती हो शिव का श्रृंगार
उपर से गिरती अमृत धार जैसे गंगा करती हो शिव का श्रृंगार
यही वह जल का विस्तार जहाॅ बसता जीवन संसार होता स्स्कृति प्रसार
क्योकि जल बिन सूना सब संसार जल ही जीवन तत्व आधार
सब बह हो जाता बेकार मिल जाता सागर मे अगर न किया रोकने का कार्य
परिश्रम के द्वारा खुलता उन्नति का द्वार मोड दो रूख दरिया का इस प्रकार
किसान के खेत तक पहुॅचे यह विस्तार अन्न उपजे जिससे अपार
दिन ढलने जा रहा रात आने वाली ठंड की रात होती कडकडाने वाली
दिन ढलने जा रहा रात आने वाली ठंड की रात होती कडकडाने वाली
बहुत से बेघर बेचारे ठंड की मार से परेशान जो कमजोर उनकी जा रही जान
इतने घर आलीशान ,ये भी आदमी है इनमे भी है जान कर सको तो करो मिल इनके उपर भी छत हो कब तक
ओढेगे आसमान
रैन बसेरे मे भी बुरा हाल सरकार कब तक कर सकती देख भाल ,इनका तो मिलकर रखना चाहिये खयाल
इंसानो का भी तो कोई इंसानियत के नाम पर फर्ज है, मानव मात्र की रक्षा से ही कटता यह कर्ज है
Thursday, December 22, 2016
शहर मे आकर गाॅव के हम भारत वासियो की खो गई पहचान, अब पूछते मकान नम्बर बताओ या निशान
शहर मे आकर गाॅव के हम भारत वासियो की खो गई पहचान, अब पूछते मकान नम्बर बताओ या निशान
हमारी होती थी गाॅव मे बाप दादा के नाम से पहचान ,उनके कर्म का भी सबको होता था भान
इस लिये हर आदमी करता था जिम्मेदार पूर्ण व्यवहार, कि नबिगडे उसके परिवार का नाम करते रहे सब जय जय कार
अब किस की परवाह किसका लिहाज न समाज की फिकर न जमाने का लिहाज इस लिये बिगड रहे सब रीती रिवाज
नयी उम्मीद और आने वाले भविष्य के साथ संवाद, देश के प्रधानमंत्री कर रहे उनसे बात
नयी उम्मीद और आने वाले भविष्य के साथ संवाद, देश के प्रधानमंत्री कर रहे उनसे बात
वे खुश की हमसे प्रधान मंत्री जी ने की बात, पूछा पढाई का हाल और किये हमसे सवाल
प्रधानमंत्री बच्चो से पूछ जान रहे उनकी गहराई, समझ रहे बच्चो की कठिनाई
एक बात दिखती साफ दोनो एक अंदर का प्यार और विश्वास इसका आनंद अलग ,अलग है अहसास
ममता बेफिक्र उन्हे नही परवाह लोग मरते है तो मरे करने वाले करे गुनाह
ममता के राज मे हो रहे दंगे फसाद फैल रहा उंमाद
पर ममता बेफिक्र उन्हे नही परवाह लोग मरते है तो मरे करने वाले करे गुनाह
उन्हे नोट बंदी सता रही वे दिल्ली आ जा रही उनके सांसद लगा रहे कतार कर रोज नवीन श्रृंगार
बंगाल का बुरा हाल जो समझते थे ममता नया युग लाएगी अब उस जनता को क्या मुॅह दिखाएगी
बच्चे करे योग साधना और ध्यान तो समझ लिजिये एक दिन वह अपनी बनाएगा पहचान
बच्चे करे योग साधना और ध्यान तो समझ लिजिये एक दिन वह अपनी बनाएगा पहचान
उसके कारण समाज मे आएगा अच्छा विचार यही है हमारे पूर्वजो का संस्कार
सेहत सुधरेगी सुधरेगे विचार योग को बनाईये जीवन का महत्वपूर्ण कार्य
हर तरफ अशांती और मारकाट जो देखो करता बम बंदूक की बात योग ही बदल सकता यह हालात
Wednesday, December 21, 2016
अगर हम होते एक तो रोक देते हर धार और उपर से बह यही धार करती हमारा श्रृंगार
अगर हम होते एक तो रोक देते हर धार और उपर से बह यही धार करती हमारा श्रृंगार
इतने मजबूत होने पर भी अलगाव मार रहा, करा रहा हमारी हार वरना रोक देते धार और यही करती हमारा श्रृंगार
हमारे साथ है हजारो साल की तपस्या से किया हुआ ऋषि मुनियो का संस्कार पर अलगाव ही कुंद कर रहा हमारी धार वरना रोक देते धार और यही करती हमारा श्रृंगार
यही सलाह और यही यह चित्र बता रहा आपको अपने पर जो बीत रही उससे सिखा रहा एक हो करो प्रतिकार दुनिया मे बंद करो यह लूट मार और आनंद का करो विस्तार
बार- बार नियम बदलने से राहुल परेशान कैसे बचाए इसका नही मिल रहा समाधान
बार- बार नियम बदलने से राहुल परेशान कैसे बचाए इसका नही मिल रहा समाधान
अगर कालेधन के चोर सावधान तो मोदी जी भी सावधान कर रहे निकल भागने वाले हर द्वार की पहचान
चल रहा चूहे बिल्ली का खेल मजेदार मोदी बना के कडे कानून दे रहे अपने हथियार को धार
इस बार खेल है आर- पार रो रहे बिलख रहे काले धन के डाकू और उनके सरदार
कालेधन के सरदार बहुत कुछ कर रहे थे लोगो को डराकर काला सफेद, पर अब रो रहे क्यो कि मोदी जी बंद करते जा रहे हर छेद
Subscribe to:
Posts (Atom)