जय हो हनुमान जी आपका बल अथाह पर भक्ति मे ऐसे है समाए कि अभिमान छू न पाए
आपकी कृपा से सुग्रीव बने राजा मित्र बने राजा राम, जो आप हो मेहरबान तो हो जाते सारे काम, लेते ही
आपका नाम
माता सीता की हर ली पीर ,कहा माॅ प्रभु की आज्ञा नही नही तो मुझे रोक सके नही कोई ऐसा वीर
छोटे रूप मे होने के कारण माॅ नही समझ पाई बात, तो प्रकट हुए विशाल रूप ले साक्षात
आपकी हम पर कृपा होगी तो हो जाएगे हम भी पार, यही प्रभु सेवक की यह अरज कर लो स्वीकार
No comments:
Post a Comment