कल तेरे बाप को खिलाया था गोद ,अब आया है पोता कहते सूद, मूल से प्यारा होता
इसमे मै देखता छोटा सा मेरा बेटा, तो करता कभी अपना बचपन याद ,कितने दिनो के आया बाद
मेरे दादा ने मुझे खिलाया यूॅ ही बाॅहो के झूले झुलाया था कहानी से सारा ज्ञान सिखाया था
आज वह अपने दादा का कर्ज उतार रहा हूॅ ,सच कहू तो इसके साथ खेल ,अपना बुढापा गुजार रहा हूॅ
सारा शरीर इस उम्र मे करता दर्द ,जब चलती हवा सर्द ,पर जब यह आता है ,समय पंख लगा गुजर जाता है
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