यू ही इन चट्टानो से टकराकर लौट रहा हूॅ सालो से अब हम परिचित हो गये एक दूसरे के खयालो से
रोज टकराते हो या रहे चरण पखार क्यो मिलते हो बार बार कही ऐसा तो नही कि तुममे है प्यार
नजर का दोष है तुम्हारा मै तो उससे मिलता गले बार बार करता अपनी दोस्ती का इजहार
मुझमे चपलता उसमे दृढता है अपार नही मिलते हमारे विचार पर सालो से रहते इसी प्रकार
यही हमारा संदेश जमाने को अगर नही मिले विचार तो उससे मिलो बार बार और रहो प्रेम से इसी प्रकार
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