सडक बनाने वाला मजदूर किन हालात मे करता काम दिन भर काम और ठंड बीतती अलाव के साथ नही तनिक आराम
बिना मेहनत हम सो रहे रजाई कंम्बल ओढवह सडक पर दिनभर मेहनत करता कमर तोड
चलते वक्त हमने नही किया विचार कैसे कर सकतेउनकी सुविधा का विस्तार
जिससे रात वह भी कर सके पूरा आराम अलाव के सहारे नही कर पाता आराम फिर कैसे करेगा काम
जलते अलाव देख आया विचार ये बिचार अलाव के सहारे गुजार रहे रात हम मनुष्य पर नही हममे मनुष्यता वाली बात
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