शक्ति का आघात गहरा, गिरे धरती पर धरती धरन ,उठाना चाह रहा मेघनाथ पु़त्र, रावन
किसमे इतना बल, कैसे हो सकता था मेघनाथ सफल ,लेकर चले हनुमान जी उठा कर साथ, पहुचे शिविर बात ही बात
अब कैसे होगा इसका इलाज, वैध भी नही आस पास, सुषेण का नाम सुझाया, पल भर मे हनुमान जी ने लंका से उठा लाया
सूरज उगने से पहले संजीवनी बूटी आएगी, तब ही बचेगी जान ,हनुमान जी को सौपा प्रभु राम जी ने यह कार्य महान
सारे विघ्न का नाश करते ले संजीवनी चल दिये हनुमान राम, काज कीन्हे बिनु मोही कहाॅ विश्राम
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