विवेकानंद जी का संदेश गरीब है बडा मेरा देश
इसको चाहिये आपका धन बदले मे लेलो ज्ञान यहाॅ की गलियो मे रोज पैदा होते आदमी ज्ञानवान
दुनिया मे होत होगे एकाध जिन्हे लोग करे याद पर वे नही करते धर्म प्रचार उनका तो केवल मानवता के लिये प्यार
हर जीव मे भगवान क्या ईसाई क्या मुसलमान चेतन तो अलग जड मे भी वही समाया इसलिये उसने यह आकार है पाया
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