आज वही मौसम वही जगह है पर तू नही बस इतनी सी है कमी
उसी पेड से टिक कर खडा हूॅ जहाॅ हम बैठ करते थे बाते वह न दिन रहे न राते
सारे पेड पौधे उसी तरह ख्लिखिला रहे पर न जाने मुझे क्यो लगता मेरी हसी उडा रहे
तेरी एक कमी से सब कुछ उदास है सब वैसा पर तू नही पास है
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