यह भी कुछ ऐसा ही पल है नही सम्हल रहा बीता हुआ कल है
लिखे खत भी लमहो की तरह बिखर गये कुछ इधर गये कुछ उधर गये जब अपनो ने छोड दिया साथ तो कौन करता यादो की बात पर लम्बा साथ का अलगाव तोड देता है जब दिल से जुडा कोई नाता तोड लेता किसी और से जोड लेता है यह भी कुछ ऐसा ही पल है नही सम्हल रहा बीता हुआ कल है
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