मेरे तन मन मे बसे बस तुम ही हो राम
तुम ही मेरे ठाकुर हे मेरे घनश्याम
दिन भर मगन की तुमरे भजन मे ही हो जाती शाम
तुम सहारे तो किसे पुकारे तुम ही लागाओ मेरी नाव किनारे
जान दूर न मंजिल न दिशा का ज्ञान शरण तिहारी मेरे भगवान
लगाओ पार सुन लो पुकार हे मेरे राम इस बार
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