खिले कमल पुष्प की तरह है नये विचार बह निकलो की यही चाहता सूत्र धार
खिले कमल पुष्प की तरह है नये विचार बह निकलो की यही चाहता सूत्र धार ताकि दुनिया को मिले आनंद और शुभ विचार चलता जीवन नित्य इसी प्रकार यह प्रवाह न होने पाए कमजोर संस्कार की पकडे रखो डोर इस प्रवाह मे सबको बहना है बस सत्य ही शास्वत है उसे ही रहना है
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