Saturday, December 31, 2016

रात बीत रही बीत रहा साल ,पर जो नही बदला वह हमारा हिंसक खयाल

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रात बीत रही बीत रहा साल ,पर जो नही बदला वह हमारा हिंसक खयाल
आज कई देश जल रहे धर्मान्धता के नाम ,हजारो लोग मर गये नही जानते लोग उनके नाम
कितनी मासूम औरते हुई बलात्कार की शिकार ,बलात्कार कर रहे धर्म के ज्ञानी ठेकेदार
मासूम बच्चे बन रहे आतंकवादी जेहादी जिस उम्र मे खेलना खाना, वे पढ रहे सुन रहे आतंक का गाना
नये साल मे इनमे बदलाव हो, लोग एक दूसरे से करे प्यार ,रहे शांती से और आपस मे जुडाव हो

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