तुम्हे बहती दिखती है धार ये तो है आॅसुओ की कतार
मेरा दर्द पिघल पिघल बह रहा है कितना शीतल हर कोई कह रहा है
ये पेड ये पहाड है गवाह मेरे हर दर्द पर इनकी निगाह ये भी कभी कभी मे दर्द मे शामिल होते उस दिन हम मिल रोते।
धुआ धुआ सब ओर ये है मेरे दर्द से भीगा पोर पोर इसकी उॅवाई है मेरे दर्द की गहराई।
No comments:
Post a Comment