यही वह दिशा है बहना जहाॅ से बदलाव आएगा, जमाना जो पहले पूजता था फिर सर झुकाएगा
सीखे हुनर और करो पढाई, तुमने छोडी इसलिये मुसीबत आई
हर तरह से होना होगा मजबूत, कि तुम ही हो आधार, तुम ही रचना की शक्ति तुमसे है संसार
नारी की शक्ति से पता चलता कितना उन्नत समाज, बेडिया मे जकडी नारी बदहाली की आवाज
नारी की धुरी पर घूमता परिवार, धुरी की मजबूती सम्हाल सकती संसार
जब कमाने वाले दो हाथ औरत के होते है, तो सब काम अच्छे होते है
न बच्चे रोते न होती किसी सामान की कमी, क्योकि सम्हाल उसकी जिसके दिल मे संवेदना और आॅखो मे नमी
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