बादलो के बीच से निकल रहा हरियाली से भरा नजारा लूट रहा मन हमारा
कितनी सुन्दर है धरती हमारी मन करता इसमे खो जाओ और बादलो की चादर ओढ सो जाओ
यहाॅ साधन बेकार क्योकि उनकी तो इस सबसे है तकरार वे कर रहे सब नष्ट और बेकार
ऐसी जगह आके हो जाती घडी बंद और स्थापित हो जाता उपर वाले से सम्बन्ध
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