Sunday, February 19, 2017

खजाना भरा पडा फिर भी है आभाव बात बे बात रोने का बन गया स्वभाव

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इतना काम और कमी फिर भी मुस्कान के साथ यह है बडी बात
सब कुछ होने के बाद सबसे बडी चीज खो गई अपनी चीज पराई हो गई
यहा सारी परेशानी सर पर चेहरा मुस्कुरा रहा सारा आराम के बाद भी उनका चेहरा मुरझा रहा
एक तरफ वे है जो छोटी सी बात से हो जाते बैचैन दूसरी तरफ सारे संकटो नही रोते नैन
एक का कार का एसी नही काम कर रहा तो बडी बात एक कै बगैर बिजली कटते दिन रात
खजाना भरा पडा फिर भी है आभाव बात बे बात रोने का बन गया स्वभाव

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