उस दिन भी थे गद्दार और आज भी है गद्दार दूसरो से नही हारते होते रहे हम अपनो के शिकार
सोचो किसने बताया कि मै यहाॅ बैठ कर रहा किसी का इंतजार वही गद्दार
किसने टोपे को पकडवाया किससे न हारने वाला पृथ्वी राज गया हार वही गद्दार
हर हार मे छिपी है गद्दारी जेएनयू वालो की लगता गद्दारो से गहरी यारी
इसलिये इनको आज भाते तराने गद्दारी के देश तोडने की तैयारी के
दूसरा नही अपने पास वाला ही मारता है इसलिये सावधान रहो व्यक्ति अपनो से हारता है
पिता हुए बलिदान उनका कार्य महान बेटी कर रही ऐसी बात की पिता होते तो न देते साथ
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