जो आज है वह भी तो एक सपना है न वो सच है न ये अपना है
सपने कब रहते है साथ वे तो बहते रहते आॅसूओ के साथ बात बे बात जमीन का धरातल है बडा कठोर सपने रहते उपर की ओर इस लिये मै इन पर नही करता यकीन इनका साथ बेमलब करता हमको गमगीन जो आज है वह भी तो एक सपना है न वो सच है न ये अपना है
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