Thursday, January 19, 2017

प्रकृति के साथ रहो ऐसे घुल मिल की एक दूसरे को बढाओ साथ मिल मुस्कुराओ

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प्रकृति के साथ रहो ऐसे घुल मिल की एक दूसरे को बढाओ साथ मिल मुस्कुराओ
वे तुम्हे हॅसाए तुम उन्हे गुदगुदाओ साथ मिल रहो एसे कि वो तुम्हे बढाए तुम उसे बढाओ
ऐसा ही यह नजारा है मेरा घर भी तुम्हारा है हरियाली से भरा हर किनारा है
इतनी छोटी सी बात हम भूल गये कि हम भी इनमे से ही एक फिर कैसा विरोध इसके लिये चाहिये कौन सा शोध
 

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