सूरज कह रहा मै चला डुबकी लगाने दिन भर की थकान मिटाने
थकान की ललालिमा चहूॅ ओरजल भी शांत खत्म हुआ दिन का शोर
सूरज ढलने के साथ बदल जाती हर बात दिन की उर्जा थकान मे बदल गई देखो शाम भी ढल गल गई
पंक्षी भी घर की ओर चले बहुत देर बाद अपनो से मिल इस लिये चहचहाहट का शोर चलो सो जाए की हो जाएगी भोर
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