Thursday, October 27, 2016

इस भूमि का त्योहार चलो मिलकर मनाए इस बार

शुभ दीपावली 
मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि मैने नही की साफ सफाई क्योकि हम नही मनाते दिवाली हम तो है ईसाई।
पर जब बच्चे पडने लगे बीमार तब समझ आया क्यो मनाते है यह त्योहार। बारिश के चार महीने के बाद नमी के कारण जन्म लेने लगते है वायरस और फंगसचारो ओर हम नही देख पात इन आखो से क्योकि हमारी नजर है कमजोर। इन से बचने का एक ही उपाए करो सफाई और रंगाई पुताई जिससे इनका असर हो खतम और स्वस्थ जीवन जीये हम। वह कहने लगा हमारे पूर्वज थे महान उन्हे था विज्ञान का ज्ञान। हर त्योहार कि एक कहानी है और छिपा हुआ है कोई संदेश विशेष। इन दिनो मे करते है तुलसी पूजा होता है ठंड के कारण गला खराब तो तुलसी के काढ के अलावा उपाय नही दूजा। करते है इस दिन रोशनाई आकर्षित हो छोटे छोटे कीटाणुओ ने अपनी गती पाई।सही बात है आर्युवेदिक दवा खाने से नही बदल जाता धर्म और समाज वेदो मे दिया है यह इलाज। ओमकार बोलने से नही होती धर्म की हानी अंत मे गूजती यह आवाज जानी पहचानी। पीपल को लगाने से अगर वातावरण होता है शुद्ध तो उसे लगाना नही है धर्म विरूद्ध। चलो अपनाए यह ज्ञान जिन्होने खोजावे भी थे इस भूमि कि संतान। 

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