दिवाली के बाद का दिन आज अखबार नही आया शहरी आदमी को लगता पूरा दिन अलसाया।
लगता है दिन की शुरूवात खो गई रोज रहती थी जो स्फूर्ती वह सो गई।
क्या करू कुछ समझ नही आ रहा सारा क्रम बिगडा जा रहा। दैनिक अखबार का सुबह की चाय जैसा होता है जायका जिसका सबसे अलग होता है स्वाद न मिले तो पूरा दिन बर्बाद। दैनिक अखबार ऐसा मुॅह लग गया है कि उसके बिना लगता नही कि सुबह हो गयी चाय की जैसे शहरी लोगो को इसकी भी आदत हो गई। इसमे कमिया है हजार शुभ खबर रोज घटती पर नही स्थान पाती उस प्रकार। थोडा बदलाव चाहिये सकारात्मक खबरो का उठाव चाहिये।
लगता है दिन की शुरूवात खो गई रोज रहती थी जो स्फूर्ती वह सो गई।
क्या करू कुछ समझ नही आ रहा सारा क्रम बिगडा जा रहा। दैनिक अखबार का सुबह की चाय जैसा होता है जायका जिसका सबसे अलग होता है स्वाद न मिले तो पूरा दिन बर्बाद। दैनिक अखबार ऐसा मुॅह लग गया है कि उसके बिना लगता नही कि सुबह हो गयी चाय की जैसे शहरी लोगो को इसकी भी आदत हो गई। इसमे कमिया है हजार शुभ खबर रोज घटती पर नही स्थान पाती उस प्रकार। थोडा बदलाव चाहिये सकारात्मक खबरो का उठाव चाहिये।
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