बीस साल की नक्सली हिंसा मे सत्ताइस सौ जवान सहित बारह हजार गई जान यह एक बहुत बडा नुकसान जिसके रचयिता पाते है सरकारी सम्मान पढाते है पढते है जेएनयू वह संस्थान। इन पर सरकारी साधन और धन होता खर्च यानी हमारे अपने पैसे से पल रहा देश मे यह मर्ज। ये दिन रात करते देश तोडने का विचार जंगल के कुछ क्षेत्रो मे चलाते समानंत्तर सरकार। करते है जंगल से करोडो मे कमाई पहुॅचने नही देते साधन जो कर सके लोगो के जीवन मे सुधार ये असल देश के समाज के गद्दार। इनके समर्थक मानवता के नाम पर इनके लिये दया की करते माॅग खरगोश की खाल मे छुपे भेडिये रचते स्वांग। आज इन भेडियो को बाहर निकालो छुपे दुश्मनो से लडो और पहले इनको मार डालो। बाहर के दुश्मन देते दिखाई पर अंदर घुसे वार करते बनकर भाई। इसलिये जरूरत जरा न रहम खाओ इनके उन्मूलन का अभियान चलाओ।
Monday, July 10, 2017
बाहर के दुश्मन देते दिखाई पर अंदर घुसे वार करते बनकर भाई।
बीस साल की नक्सली हिंसा मे सत्ताइस सौ जवान सहित बारह हजार गई जान यह एक बहुत बडा नुकसान जिसके रचयिता पाते है सरकारी सम्मान पढाते है पढते है जेएनयू वह संस्थान। इन पर सरकारी साधन और धन होता खर्च यानी हमारे अपने पैसे से पल रहा देश मे यह मर्ज। ये दिन रात करते देश तोडने का विचार जंगल के कुछ क्षेत्रो मे चलाते समानंत्तर सरकार। करते है जंगल से करोडो मे कमाई पहुॅचने नही देते साधन जो कर सके लोगो के जीवन मे सुधार ये असल देश के समाज के गद्दार। इनके समर्थक मानवता के नाम पर इनके लिये दया की करते माॅग खरगोश की खाल मे छुपे भेडिये रचते स्वांग। आज इन भेडियो को बाहर निकालो छुपे दुश्मनो से लडो और पहले इनको मार डालो। बाहर के दुश्मन देते दिखाई पर अंदर घुसे वार करते बनकर भाई। इसलिये जरूरत जरा न रहम खाओ इनके उन्मूलन का अभियान चलाओ।
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