ये है बंद दुकान के बेकार सामान इनको पहले ही देश की जनता चुकी पहचान
अब तो घर से भी कर दिया गया बाहर की कोई उठा ले जाए अपने घर
पर कूडा किस काम का इसलिये इन पर नही पडती किसीकी निगाह किसको इनकी परवाह
इसलिये बहाना ढूढ खबरो मे आते है लाल झंडा ले जोर जोर चिल्लाते है
ये गद्दारो के यार इंसानियत के कायल हम इसलिये बस देते दुत्कार
पर ये बडे ही ढीढ इनका सामना सुनता सुनती गाली इनकी पीढ नही होता की मिट्टी मे मिल जाए देश के किसी तो काम आए
देश के लिये कभी नही रहे ये फूल ये तो हमेशा ही चुभते रहे बन शूल 62 का युद्ध को कैसे सकते भूल
अब इस बंद दुकान की होने वाली है निलामी जो बोली लगाने आएगा पाकिस्तान हमारे लिये यह बेकार सामान
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