Sunday, August 13, 2017

कृष्ण वह अद्वितीय अवतार है जिसमे प्रेम की भरमार है । युद्ध भी इतने है की अंदर बाहर सब ओर से प्रहार है इस सबमे वह शांत निर्लिप्त निर्विकार है


कृष्ण वह अद्वितीय अवतार है जिसमे प्रेम की भरमार है । युद्ध भी इतने है की अंदर बाहर सब ओर से प्रहार है इस सबमे वह शांत निर्लिप्त निर्विकार है। युद्ध मे है पर हाथ नही हथियार है। वह सबका सम्बन्धी पर खडा उस ओर जिधर सत्य विचार है। दोनो पक्षो मे उसके प्रेमी भक्तो की भरमार है। भीष्म की भक्ति तो करते स्वीकार परअसत्य पक्ष मे खडे तो तो कहते अर्जुन करो पूरी ताकत से प्रहार तुम्हारे प्रण के लिये अपना प्रण तोड सकता पर असत्य पक्ष मे खडे भक्त को भी नही छोड सकता। जहा सत्य वहाॅ मेरा निवास कर लो मेरे भक्तो यह दृढ विश्वास। असत्य की कोई सत्ता नही सत्य का नही होता नाश जमाना कर ले लाख प्रयास।कृष्ण ध्यान मे है ज्ञान मे है अपने कर्म महान मे है सत्य की राह चलने वाले हर इंसान मे है। इसलिये अगर हो धर्म के साथ तो न घबराओ पूरी मजबूती से कदम बढाओ वह हमेषा आएगा तुम्हारे तुम्हारे साथ डरने की क्या बात।कृष्ण तो प्रेम का सागर है कोई डूबे तो हो जाए पार  पर उसे तो केवल निछल प्रेम स्वीकार। यह सोच रूको नही की हमारे प्रेम है कुछ कमी बस बह निकलो की बहती उसके प्रेम की धार वह खुद कर देगा सब कमी बाहर।वह शुद्ध है वह बुद्ध है वह हर कमी के विरूद्ध है।चलो हम उसके जन्म पर बह निकले उसके प्यार मे आनंद ही आनंद है उसके पयार मे दीदार मे।

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